रविवार, 23 फ़रवरी 2025

सूचनार्थ बहुआयामी पार्टी दल का सदस्यता अभियान

 सेवा में,

समस्त जनपद जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश

समस्त जनपद पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश


सूचनार्थ बहुआयामी पार्टी दल का सदस्यता अभियान


सर्वधारण को सूचित किया जाता है कि 10 मार्च सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका की पुण्यतिथि पर बहुआयामी राजनीतिक दल (बी ए पी) का गठन उत्तर प्रदेश के विशाल जनपद लखीमपुर खीरी 10, मार्च 2024 में किया गया था जिसके नाम को चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता भी प्राप्त की जा चुकी है

ऐसे में बहुआयामी दल अपनी ( बहुआयामवादी) विचारधारा और उद्देश्यों को पार्टी का कोटेशन (आखिर नेता का बेटा नेता कब तक?) पार्टी गीत (बोल की लव आजाद है तेरे) को प्राप्त करने के लिए चूंकि बहुआयामी दल का गठन प्रतिष्ठित बहुआयामी शिक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान समिति के पदाधिकरियों के द्वारा की गई है इसलिए शिक्षा, तकनीकी एवं अनुसंधान के महत्व को समझते हुए पार्टी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए 10 मार्च 2025 से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों खास तौर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ व जनपद लखीमपुर खीरी से अपने सदस्यता अभियान को शुरू कर रही है 


सदस्यता अभियान की अपील मुख्य उद्देश्य है कि बहुआयामी दल व बहुआयामी संस्था परिवार के द्वारा सरकार को हजारों ज्ञापन भेजे गए हैं परिणाम यह है कि हमारे आपके ज्ञापनों को डस्टबिन का हिस्सा बनाया जा रहा है जबकि सरकार की तरफ से कोई भी जवाब देही नहीं है

इसलिए आपको अपने ज्ञापन की मांग को पूरा कराने के लिए बहुआयामी पार्टी परिवार में जुड़ने की अपील की जाती है 


बहुआयामी पार्टी संविधान के अनुसार

1. जिसमें कोई भी भारत का वह नागरिक जिसने 18 वर्ष पूर्ण कर लिया हो पार्टी की सदस्यता के पात्र होगा, ब शर्ते कि वह किसी दूसरी अन्य पार्टी का सदस्य ना हो 

2. कोई भी स्नातक साथी किसी भी विषय के साथ में पार्टी का पदाधिकारी के लिए तौर पे मान्य होगा 

3. आधिकारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता शुल्क प्रति पदाधिकारी ₹100 निर्धारित की गई है परंतु शुरुआत में कार्यकारिणी पूर्ण करने के लिए यह सदस्यता निशुल्क की जा रही है 

4. अधिक जानकारी के लिए पार्टी के आधिकारिक वेबसाइट www.bahuayamiparty.in  के डाउनलोड के ऑप्शन से पार्टी के संविधान तथा संकल्प पत्र की सहायता ली जा सकती है

5. बहुआयामी दल में सदस्यता के लाभ की सूची जो की अन्य पार्टियों में नहीं है आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त या राष्ट्रीय कार्यकारिणी से सीधे ही प्राप्त कर सकते हैं




शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

वक्फ़ अधिनियम 1995/ 2013 की धाराओं का संरक्षण, जैसा की भारतीय संविधान में उल्लेखित है

 सेवा में, 

माननीय राष्ट्रपति महोदय/ महोदया 

भारत के महामहीम 


विषय: वक्फ़ अधिनियम 1995/ 2013 की धाराओं का संरक्षण, जैसा की भारतीय संविधान में उल्लेखित है



सुझाव हेतु

यदि आवश्यक हो तो नेशनल एंडोमेंट कमिश्नरेट /राष्ट्रीय धर्मार्थ बंदोबस्ती निकाय की स्थापना  की जा सकती है जिसमें भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल किया जा सकता है 

 

मान्यवर, महोदया 

                        भारत देश के अल्पसंख्यकों की वर्तमान हालात की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे 

चूंकि आप देश के राष्ट्रपति और संविधान के संरक्षक देश के मार्गदर्शक हैं हम आपसे एक राजनीतिक दल के शैक्षिक समुदाय के माध्यम से अनुरोध करना चाहते हैं कि आप कृपया उपरोक्त विषय पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने का कष्ट करें ताकि भारत के संविधान के भाग (III) में उल्लेखित मौलिक अधिकारों की धाराएं 14, 15, 26, 29 और 30 के अंतर्गत उल्लंघन पर उचित ध्यान आकर्षित कराया जा सके

जो कि संभवतह भारत के संविधान की प्रस्तावना के साथ छेड़छाड़ व खिलवाड़ होगा 


वर्तमान सदन की कार्यप्रणाली देश की अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति को देखते हुए हमें ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 इन धाराओं का उल्लंघन करता दिखाई दे रहा है और इसमें खासकर मुस्लिम समुदाय के अधिकार प्रभावित होने की संभावना है  


JPC जेपीसी पार्लियामेंट्री जॉइन कमेटी मीटिंग के द्वारा प्रस्तावित राज्यसभा सदन के माध्यम से संशोधन में कृपया निम्न बिंदुओं पर विचार करने का कष्ट किया जाए 


वर्तमान सत्ता पक्ष भाजपा सरकार 2024 लोकसभा चुनाव के एजेंडे में 400 पार का नारा देते हुए वक्फ बोर्ड को खत्म कराए जाने की वोटरों पर भारी भरकम जोर दिया गया, पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से ऐसे लिखो का प्रकाशन किया जा रहा है जिसमें वक्फ बोर्ड के द्वारा किसी भी संपत्ति को कब्जा या हाईजैक करने की बात की जा रही है जबकि इसका कोई सटीक प्रमाण जवाब देही नहीं है 

ऐसे में BJP सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 अनावश्यक और एक एक व्यर्थ सोची समझी साजिश के तहत लम्बी दूरी का मात्र राजनीतिक मुद्दा है 


उत्तर प्रदेश BJP योगी सरकार के द्वारा लंबे समय से शिया सुन्नी वक्फ़ बोर्ड मर्ज कराए जाने की बात की जाती रही है जबकि

पूरी तरह धार्मिक वक्फ़ संपत्तियों को (UMEED) नाम देने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि (AIMS) पहले से ही क्रियान्वयन के लिए मौजूद है



उत्तरा खंड BJP धामी सरकार सैकड़ो मस्जिद मजारों दरगाहों को यह कहते हुए तोड़ा जा रहा है कि यह गैर कानूनी हैं भारत की आजादी 1947 के समय बनी मस्जिदें सोचनीय है जबकि नया नियम लागू कर इनका वेध भी किया जा सकता है 

यह वक्फ विधायक 2024 केवल मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करेगा जबकि अन्य अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक धर्म हिंदू देवी देवताओं के धार्मिक स्थल पर संपत्तियों के लिए कोई कानून प्रस्तावित नहीं किया गया है जो की कानूनी तौर पे समानता के नियम का उल्लंघन है




लाखों ऐसी वक्फ की संपत्तियों जिनको वक्फ किया गया था यह कहते हुए खाली कराया जा रहा है कि इसकी दाखिल खारिज खसरा खतौनी य जगह की गूगल मैपिंग नहीं है जबकि आजादी से पूर्व ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाई नहीं जा रही थी 

भारत में ऐसे कई मामले ज्ञात हैं जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा सीधे तौर पर यह कहा गया है कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक होता है और इसकी संपत्तियां हमेशा के लिए ईश्वर के नाम पर समर्पित होती हैं जहां पर समाज के उत्थान के लिए धार्मिक कार्य किए जाते हैं  



उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जहां सचिवालय मुख्यमंत्री कार्यालय भी वक्फ की संपत्ति पर है उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड ने कभी भी इस संपत्ति को खाली कराए जाने की मांग नहीं की 

यह भी निर्देशित है कि जो संपत्ति एक बार ईश्वर के नाम पर वक्फ कर दी जाती है उसे आगे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता क्योंकि ईश्वर की कोई भौतिक उपस्थित नहीं होती जो उसे स्थानांतरण की स्वीकृत दे सके इसलिए संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत निजी वक्फ संपत्तियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए



उत्तर प्रदेश में सैकड़ो ऐसे मंदिर हैं जहां पर करोड़ों की फंडिंग हो रही है मंदिर की कार्यकारिणी कमेटी समिति में किसी भी दलित या मुस्लिम अल्पसंख्यक समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं है फिर भी धार्मिक समुदाय अपनी संपत्तियों का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन करते हैं जब कोई गैर हिंदू /हिंदू धार्मिक संस्थाओं के प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं कर सकता तो वक्फ के मामलों में गैर मुसलमानो को शामिल करना मुस्लिम समुदाय के लिए चिंता व राजनीतिक दबाव का विषय है 


हम सभी भारतीय नागरिक खासकर अल्पसंख्यक आपसे विनम्रता पूर्वक अनुरोध व मांग करते हैं RSS, BJP की शंका भारी राजनीति को ध्यान में रखते हुए इन उपरोक्त सभी बिंदुओं पर गंभीरता पूर्वक चिंतन मनन करने का कष्ट किया जाए            




गुरुवार, 5 सितंबर 2024

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पूर्णतया खारिज करने के संबंध में अपील

 इस्लामी संगठन, मुस्लिम समाज से वहुआयामी दल की अपील संसदीय समिति भारत सरकार को बहुआयामी दल के माध्यम से सुझाव प्रेषित करते हुए

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पूर्णतया खारिज करने के संबंध में अपील

बहुआयामी दल समाज से अपील करती है कि 29 अगस्त 2024 के प्रेस विज्ञप्ति के संदर्भ में संसदीय समिति जेपीसी JPC के द्वारा वक्त संशोधन विधेयक 2024 पर सुझाव आमंत्रित करने के संबंध में 11 सितंबर से पहले पहले सामाजिक सुझाव मांगे गए हैं जिसके अंतर्गत यदि 20 करोड़ मुसलमान या अन्य धार्मिक लोग में से मात्र 50 लाख भी इस बिल को खारिज करने की माग निवेदन करते हैं तो वर्क बोर्ड बिल संशोधन 2024 को आसानी से रोका या खारिज किया जा सकता है जानकारी के लिए वक्फ बोर्ड बिल संशोधन इससे पहले भी कई बार किए जा चुके हैं पर वर्तमान सरकार के द्वारा जो 40 प्रकार के संशोधन किए गए हैं जिसमें वक्फ बोर्ड का नियंत्रण मुसलमानो व इस्लाम से नियंत्रण खत्म करते अपने सरकारी हाथों में लेना है ध्यान रहे कि यह सिर्फ विपक्ष के द्वारा वक्फ बोर्ड संशोधन पर मात्र मामूली सी रोक है सावधानी हटी दुर्घटना घटी के तहत वर्तमान सरकार की मानसिकता को देखते हुए कुछ समझौते के साथ विपक्ष भी इस बिल को पास करा देगा ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के द्वारा भी लाखों संपत्तियों को जप्त किया जा चुका है यह कहते हुए कि संपति का कोई सरकारी विवरण नहीं है वह लाखों मस्जिद कब्रिस्तान, दरगाह, कर्बला सभी से हाथ धोना पड़ सकता हैध्यान देने वाली यह बात है कि आजादी से पहले से लगातार हमारे बुजुर्गों ने अपने खून पसीने की कमाई वाक्फ बोर्ड में कुर्बान दान की थी और भारत की आजादी में भी अपना सर्वोच्च कुर्बान किया है बदले में वर्तमान सरकार के द्वारा हमे लगातार प्रताड़ना धर्म विरोधी, राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के समय मुस्लिम समाज की सरकारी विभागों में भागीदारी नौकरी 20% थी लेकिन वर्तमान BJP सरकार में मात्र 2% से भी कम रह गई है क्या सरकार या विपक्ष में बैठी पार्टियों के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए मुख्य समस्या यह है कि BJP सरकार की मानसिकता पर लगातार प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं BJP सरकार कहीं ना कहीं RSS संघ परिवार से ग्रसित हो चुकी है साथियों पुनः आपके प्रयास से इस बिल को रोका और रिजेक्ट किया जा सकता है इसके लिए आपको बिल को क्यों रोका जाना चाहिए और बिल को लेकर क्या सुझाव होना चाहिए उसका फॉर्मेट 13 September, Friday पूरा का पूरा बनाया जा चुका है जिसके लिए आपको एक QR क्यूआर दिया जा रहा है जिसको आप अपने मोबाइल से स्कैन करके दी गई जेपीसी JCP संसदीय समिति को ईमेल कर सकते हैं आप चाहे तो एक से अधिक ईमेल भी कर सकते हैं क्यौकी और दूसरों के मोबाइल से भी ईमेल कर सकते हैं आपका एक प्रयास समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है



वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को खारिज कराने के संबंध में

 सेवा में, 

संयुक्त संसदीय समिति के प्रिय सदस्यगण, 

कानून मंत्रालय भारत सरकार


संसदीय समिति को बहुआयामी दल का सुझाव पत्र विषयः- वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को खारिज कराने के संबंध में


महोदय महोदया.


यह आपके 29 अगस्त 2024 के प्रेस विज्ञप्ति के संदर्भ में है, जिसमें जेपीसी JPC द्वारा 'वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024' पर सुझाव आमंत्रित करने के संबंध में है। मैं, एक भारतीय नागरिक, के साथ-साथ बहुआयामी राजनीतिक दल के पदाधिकारी के माध्यम से "वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024" नामक विधेयकों को पढ़ने के बाद, इस राय पर हूं कि इस वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को पूरी तरह से खारिज कर दिया जाना चाहिए।


कृपया ध्यान दें कि विधेयक के कुछ प्रावधानों को हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा क्योंकि विधेयक पूरी तरह से अस्वीकृति का हकदार है, इसलिए हमने इस पत्र में किसी भी खंड पर विशेष रूप से बात नहीं की है क्योंकि उस खंड में संशोधन करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद, हमने कई महत्वपूर्ण चिंताओं की पहचान की है जिनके कारण हमारा और हमारे दल का मानना है कि इस विधेयक को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।


1. वक्फ संपत्तियों पर इरादा और प्रभावः विधानमंडल का इरादा और प्रस्तावित प्रावधानों का प्रभाव स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि यह विधेयक विभिन्न वक्फ संपत्तियों को वक्फ के रूप में उनकी स्थिति से हटाने और मुतवल्लियों/केयरटेकरों के नियंत्रण और प्रबंधन अधिकार को कम करने के लिए बनाया गया है।


2. वक्फ संपत्तियों की पवित्रता और धर्मार्थ उपयोगः यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वक्फ संपत्तियां निजी संपत्तियां हैं (वक्फ होने से पहले), कानूनी रूप से अर्जित की जाती हैं और फिर वक्फ (कानूनी मालिक) द्वारा अल्लाह के लिए वक्फ के रूप में समर्पित की जाती हैं। शरिया में निर्दिष्ट इन संपत्तियों की पवित्रता, धार्मिक महत्व और धर्मार्थ उपयोग नए संशोधनों से गंभीर रूप से समझौता किया जाएगा। 

3. पर्याप्त परामर्श का अभावः इस विधेयक को मुस्लिम विद्वानों, वक्फ बोडों और बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय सहित प्रमुख हितधारकों के साथ पर्याप्त परामर्श के बिना पेश किया गया है। यह बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है और इन परिवर्तनों से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की आवाज़ों की अवहेलना करता है।


4. संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघनः संविधान धार्मिक स्वतंत्रता और बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने के अधिकार की गारंटी देता है। वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण को केंद्रीकृत करके, वक्फ संशोधन विधेयक 2024 इन संवैधानिक सुरक्षाओं का खंडन करता है और अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर और अधिक अतिक्रमण के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है। 5. कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को संबोधित करनाः वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन और गलत इस्तेमाल का मुद्दा मुख्य रूप से भ्रष्टाचार और वक्फ बोर्ड के भीतर पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा सत्ता के गलत इस्तेमाल का नतीजा है। भ्रष्टाचार को दूर करके और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने वालों पर कड़ी सजा लगाकर इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।


इन चिंताओं के मद्देनजर, हम वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को वृढ़ता से अस्वीकार करते हैं और समिति को सुझाव वेते हैं कि वह इसके बजाय उन कार्यों पर ध्यान केंद्रित करे जो वक्फ बोडों के भीतर पदों पर बैठे लोगों द्वारा भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को संबोधित करते हैं।



रविवार, 25 अगस्त 2024

तेजी के साथ मुस्लिम नवी मोहम्मद पर किए जा रहे विवादित बयान के संबंध में

 सेवा में,

सचिवालय मसेवाहाराष्ट्र सरकार 

गवर्नर महाराष्ट्र सरकार 

लॉ एंड ऑर्डर विभाग महाराष्ट्र सरकार

प्रेषित,

जिलाधिकारी महोदय 

पुलिस अधीक्षक महोदय बांद्रा जिला नासिक


विषयः तेजी के साथ मुस्लिम नवी मोहम्मद पर किए जा रहे विवादित बयान के संबंध में


महोदय महोदया, 

बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि भारत जैसे देश जो की एक गठबंधन (हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई) देश है जिसमें 20 करोड़ से अधिक लगभग 15% मुस्लिम समाज के अनुयाई सदियों से निवास करते आए हैं और भारत की आजादी के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर भी किया है जब सरेआम राजनीति के संरक्षण में कानून व्यवस्था को दरकिनार करते हुए कुछ तथा कथित हिंदू संतो (रामगिरी) के द्वारा सरे आम इस्लाम को टार्गेट करते हुए "मुसलमानो के पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम" को लगातार बगैर कोई साक्ष्य वा प्रूफ के जबरन धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए नबी की शरीयत को गलत साबित करने की नापाक कोशिशें की जा रही हैं ज्ञात होगा कि इससे पहले भी बीजेपी की नेता एक महिला नूपुर शर्मा के द्वारा उसी तरीके की आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा चुकी हैं ऐसे तथाकथित कई हिंदू संतो के द्वारा लगातार देश में धार्मिक सद्भावना को बिगड़ने की नापाक कोशिश करते रहे हैं जानकारी के लिए महाराष्ट्र से महाराज रामगिरी पर पहले से भी कई प्रकार के आरोप व मुकदमे दर्ज हैं जिनमें से उनके ही धार्मिक गुरु नारायणगिरी के आश्रम को जबरन हड़पने और पुलिस के सहयोग से सिंहासन हासिल करने का भी आरोप लग चुका है हाल ही रामगिरी के द्वारा दिए गए विवादित बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है मुस्लिम समाज के लाखों अनुयायियों के द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों व जिलों में धरना प्रदर्शन आंदोलन व ज्ञापन दिए जा रहा है यदि समय रहते हए। हुए नासिक बांद्रा पुलिस के द्वारा कार्यवाही कर ली जाती तो आज इस तरीके से राजनीति के चलते तनाव का माहौल न बनता जिस तरीके के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जी के संत के पक्ष में बयान आते हैं उस से साफ जाहिर होता है कि यह बयान राजनीति की सोची समझी इस्लाम मुस्लिम विरोधी साजिश के तहत था रामगिरी के बयान से भारत के 20 करोड़ से अधिक मुसलमानो को धार्मिक तौर पर आहत किया गया है जिससे मुस्लिम समाज में काफी आक्रोश है

अतः बहुआयामी राजनीतिक दल पार्टी के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार से मांग की जाती है कि देश में शांति अमन जैन कायम रखने के लिए जल्द से जल्द रामगिरी के बयान को सोशल मीडिया से निष्कासित कराते हुए रामगिरी के विवाद से संबंधित जायज़ मुकदमा दर्ज कर वारंट गिरफ्तारी कराने का कष्ट किया जाए



सोमवार, 19 अगस्त 2024

आजादी के अमृत महोत्सव पर जिला से संबंधित क्रांतिकारियों का आधिकारिक वेबसाइट www.nic.in पर विवरण उपलब्ध कराए जाने हेतु

सेवा में

समस्त जिलाधिकारीगढ़ उत्तर प्रदेश

 सचिवालय उत्तर प्रदेश सरकार 

मुख्यमंत्री कार्यालय उत्तर प्रदेश सरकार 

जनसुनवाई विभाग उत्तर प्रदेश सरकार 

सूचना विभाग उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश BJP योगी सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को वहआयामी दल का सुझाव पत्र

विषयः आजादी के अमृत महोत्सव पर जिला से संबंधित क्रांतिकारियों का आधिकारिक वेबसाइट www.nic.in पर विवरण उपलब्ध कराए जाने हेतु

महोदय/महोदया

 युवा दृष्टिकोण क्रांतिकारी विचारधारा होते हुए को ध्यान में रखते हुए "आजादी के अमृत महोत्सव" बहुआयामी वल के माध्यम से आप सभी सम्मानित पदाधिकारीगढ़ का ध्यान आकर्षित कराना चाहेंगे जहां हमारी सरकार क्रांतिकारियों के त्याग बलिदान को ध्यान में रखकर घर-घर तक पहुंचाने के लिए लाखों से करोड़ों रुपए खर्च कर रही है समस्त प्रकार के सरकारी विभाग के अधिकारियों को भी इस मुहिम में जोड़ा जा रहा है परंतु कुछ पत्र पत्रिकाओं के द्वारा ऐसी भी लेक वा खबरों का प्रकाशन किया गया जो हर घर तिरंगा सेल्फी अभियान के नाम से भ्रष्टाचार को भी उजागर किया गया है तिरंगा सेल्फी के साथ सम्मानित किए जाने वाले साथियों के साथ भी जातिगत भेदभाव की भी खबरे देखी गई हैं और तिरंगे के प्रति सम्मान को देखते हुए भी प्रश्न खड़े किए गए हैं ऐसा देखा गया है कि कुछ समय बाद तिरंगे रोड वा घरों के किनारे पड़े हुए भी दिखाई दिए हैं आदि प्रकार की समस्याओं का निराकरण कराने तथा नई पीढ़ी के क्रांतिकारियों का सम्मान मनोबल बढ़ाने हेतु बहुआयामी दल उत्तर प्रदेश के समस्त जनपद की आधिकारिक वेबसाइटों www.nic.in पर जिस तरीके से जिला से संबंधित इतिहास को दिखाया गया है ठीक उसी प्रकार "जिला के क्रांतिकारी" के नाम से जिला से संबंध रखने वाले सभी क्रांतिकारियों का विवरण उनके द्वारा देश की आजादी देश हित में किए गए उल्लेखनीय कार्य करने हेतु अलग से हाइपरलिंक हेडिंग लगवाने की अपील करती है जो जीवन भर चलती रहेगी और आने वाली पीढ़ी भली प्रकार पढ़ व समझ सकती है अनेक जनपदों की वेबसाइट पर ऐसा भी देखा गया है कि जनपद से संबंध रखने वाले विधायकों सांसदों MP/MLA राजनेताओं का विवरण तो वेबसाइट के ऊपर उपलब्ध कराया जाता है पर अफसोस की बात है कि जिन लोगों की वजह से आज हमें आजादी मिली और हम चैन से जीवन यापन कर पा रहे हैं उनके ही त्याग और बलिदान को हम भुलाए दे रहे हैं युवा दृष्टिकोण होने के नाते ऐसा बहुआयामी वल का मानना है कि राजनेताओं से कहीं ज्यावा सम्मान हमारे क्रांतिकारियों को मिलना चाहिए जो कि नहीं मिल पा रहा है

ऐसे में बहुआयामी राजनीतिक दल मंग वा अपील करती है कि उत्तर प्रदेश की समस्त जनपदों की वेबसाइट पर जिला के क्रांतिकारी के नाम से हाइपरलिंक हेडिंग लगवाने का कष्ट किया जाए इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हम बहुआयामवादी परिवार आपके आभारी रहेंगे


सोमवार, 12 अगस्त 2024

जनपद लखीमपुर खीरी तराई क्षेत्र पीलीभीत, बहराइच के दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्य जीव अभ्यारण और कतर्नियाघाट से संबंधित समस्याओं के हिंदी पिटारा के संबंध में।

                               पत्रांक

 सेवा में, 

जिलाधिकारी महोदय लखीमपुर खीरी। 

जिला अधिकारी महोदय बहराइच। 

जिला अधिकारी महोदय पीलीभीत। 

                            द्वारा प्रेषित,


वन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार। 

वन्य जीव संरक्षण विभाग उत्तर प्रदेश

 पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार।

विषयः जनपद लखीमपुर खीरी तराई क्षेत्र पीलीभीत, बहराइच के दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्य जीव अभ्यारण और कतर्नियाघाट से संबंधित समस्याओं के हिंदी पिटारा के संबंध में।


महोदय,

बहुआयामी राजनीतिक दल से जुड़े जनपद लखीमपुर खीरी के पदाधिकारियों के सर्वे तथा विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं के अनुसार जानकारी निकलकर आ रही है कि जनपद लखीमपुर खीरी जोकि अवध प्रांत का तराई क्षेत्र है जिसके जनपद पीलीभीत, बहराइच व लखीमपुर खीरी को मिलाकर अधिकतर वन्य जीव वन क्षेत्र सम्मिलित है जिसमें दुधवा नेशनल पार्क, गोला व मैलानी वन बेल्ट सेंचुरी, किशनपुर वन्य जीव सेंचुरो, कतर्नियाघाट घाट, बहराइच का मोतीपुर वन बेल्ट सेंचुरी पीलीभीत वन सेंचुरी, आदि प्रमुख है जो कि लगभग 2000 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला हुआ है ऐसे में वनों में विभिन्न प्रकार की वन्य जीव प्रजातियां लंबे समय से निवास करती चली आई हैं जिनमें से अनेक लुप्त प्राय हैं। सन 1977 में अर्जुन बेली के द्वारा स्थापित विधवा नेशनल पार्क जिसका वर्तमान क्षेत्रफल 490 वर्ग किलोमीटर जिसको 1987 से 88 के दशक किशनपुर वन्यजीव दुधवा टाइगर रिजर्व के रूप में सामिल किया गया जिसका वन्य जीव वातावरण जिसकी वर्षा 150 से 182mm एमएम तथा ऊंचाई 15mm एमएम की वर्षा होती है जिसका सर्दियों में न्यूनतम तापमान 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस है जिसमें 400 से अधिक प्रकार की प्रजातियां निवास कर रही हैं जोकि विभिन्न प्रकार की प्रजातियों तथा विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों के प्रजनन व संरक्षण के लिए अति महत्वपूर्ण है 

ऐसे में लंबे दशक से विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक नकारात्मक प्रश्न्नचिन्ह लगाते हुए लेखों का प्रकाशन किया गया है जिनमें से तेजी के साथ जानवरों की बढ़ती तस्करी दुधवा नेशनल पार्क में एकाएक बढ़ाए जाने वाला प्रवेश शुल्क सफारी गाड़ी का किराया जो कि 1700 से बढ़ाकर 6000 किया गया है इसके अतिरिक्त अन्य प्रकार के शुल्क वसूल किए जा रहे हैं जो पर्यटकों को लगातार मायूस करता है हाल ही में पिछले 3 महीने में 4 से अधिक शेरों व दो हाथियों की मृत्यु हो जाती है के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के साखू सागोन, कौरव की तथा टेंगन व डालफिस जैसी मछलियों की कालाबाजारी नदियों से बालू मोरंग का खनन से संबंधित जानकारियां प्रकाशन में आ रही है।

नेपाल देश का बॉर्डर जनपदों की सीमा होने के कारण तस्करों को बॉर्डर पर शक्ति ना बरते जाने के कारण तस्करी करने में आसानी हो जाती है। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे मामले भी हैं जो शासन प्रसाद व वन विभाग अधिकारियों के द्वारा दबाए व छुपाए गए हैं। जनपद लखीमपुर खीरी के विधानसभा कस्ता से बहुआयामी राजनीतिक दल के गठन होने के नाते हम आप सभी सम्मानित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहेंगे।

जिसको लेकर बहुआयामी राजनीतिक दल के पदाधिकारी सुझाव व निम्न मांगे करती है।


1. दुधवा नेशनल पार्क संस्थापक अर्जुन बेबी के नाम से जू चिड़िया घर पार्क की स्थापना की जाए।


2. दुधवा नेशनल पार्क में बढ़ाए गए प्रवेश (1700 से 6000) शुल्क को कम किया जाए।


3. दुधवा नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण औषधि पौधों को देखते हुए सीएसआईआर शाखा प्रयोगशाला की स्थापना की जाए।


4. दुधवा नेशनल पार्क के निकट स्थापित रेलवे स्टेशन का सुंदरीकरण व रुकने, बैठने, ढहरने की उचित व्यवस्था की जाए।


5. दुधवा नेशनल पार्क में किए जा रहे जानवरों की तस्करी (हांथी दांत, शेर के नाखों, गेंडे की खाल, दो मुंहा सांप आदि) को तुरंत रुकवाया जाए।


6. दुधवा नेशनल पार्क में विलुप्त प्राय जातियों का पुनः संरक्षण तथा डॉल्फिन, घड़ियाल व कछुआ का प्रजनन व संरक्षण किया जाए


7. दुधवा नेशनल पार्क वन संपदा पर (चंदन, साखू, सागोन, कौरव आदि) की जा रही वनों की अंधाधुंध कटाई पर डीएफओ पर रोक लगाई जाए।


8. हाथी की सवारी (300Rs) पेड़ के मचान का शुल्क व बनाए गए म्यूजियम का अतिरिक्त शुल्क कम किया जाए।


9. दुधवा नेशनल के पार्क व गाड़ी पार्किंग का अतिरिक्त (100Rs से 500Rs तक) चार्ज वसूल करने पर रोक लगाई जाए।


10. दुधवा नेशनल पार्क विदेशी पर्यटकों के लिए बंद न किया जाय जब तक की बरसात या बाढ़ ना पर्यटकों के लिए खोला जाए।


11. वीडियोग्राफी बड़े और छोटे कैमरे पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क को वीडियोग्राफी निशुल्क की जाए।


12. दुधवा नेशनल पार्क की बनाई गई अधिकारिक वेबसाइट को पुनः अपडेट करवाया जाए।




सूचनार्थ बहुआयामी पार्टी दल का सदस्यता अभियान

 सेवा में, समस्त जनपद जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश समस्त जनपद पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सूचनार्थ बहुआयामी पार्टी दल का सदस्यता अभियान सर्वधारण क...